भीलो का बेदला स्थित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल ने 8 वर्षीय मासूम की सफल लिंग निर्धारण सर्जरी की। इस सर्जरी में बाल एवं नवजात शिशु सर्जन डॉक्टर प्रवीण जागर के नेतृत्व में एनेस्थीसिया विभाग के डॉ.प्रकाश औदिच्य, डॉ.शिल्पा, डॉ.कृष्ण गोपाल, अनिल भट्ट एवं मनीष की टीम का सहयोग रहा। डॉ. झंवर ने बताया कि 15 हजार बच्चों में किसी एक में इस तरह की बीमारी होती है, जिसे कंजेनाइटल एड्रीनली हाइपरलेसिया बीमारी कहते हैं। यह गर्भवती के दौरान कुछ आवश्यक एंजाइमों की कमी के कारण नवजात को होती हैं। दौरान हार्मोन के असंतुलन में गंभीर बीमारी, असामान्य जननांग, प्रारंभिक यौवन, विकास संबंधी और अन्य समस्याएं पैदा कर देती हैं।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में निजी कंपनी के सिक्योरिटी गार्ड 36 वर्षीय सोनू की जटिल ब्रेन टयूमर सर्जरी की गई। ऑपरेशन के दौरान मरीज होश में था। विज्ञान और आस्था का अनूठा संगम भी देखने को मिला। सर्जरी के दौरान मरीज गरुड़ घंटी बजाते हुए चिकित्सक के साथ बात करता रहा। न्यूरो सर्जन डॉ. नरेंद्र मल, डॉ. नवीन सेठिया, न्यूरो इंटेंसिविस्ट डॉ. रमाकांत, डॉ. गणेश गुप्ता, दीपक चतुर्वेदी, सुनील जैन और पंकज व्यास की टीम ने यह सर्जरी की। पीएमसीएच के चेयरमैन राहुल अग्रवाल ने कहा कि बेदला में मरीजों को ब्रेन ट्यूमर के इलाज के लिए अवेक ब्रेन सर्जरी की सुविधा उपलब्ध हैं।
38 साल की महिला को शादी के 10 साल बाद पेसिफिक हॉस्पिटल के आईवीएफ सेंटर से मिले इलाज से संतान का सुख मिला। डॉ. मनीषा वाजपेयी ने बताया कि पीएमसीएच आईवीएफ में उपलब्ध सुविधाएं एवं विशेषज्ञता के चलते मां-बाप का संपूर्ण इलाज किया गया और टीसा एवं इक्सी से उपचार के बाद स्वस्थ शिशु की प्राप्ति हुई। परिजनों ने टीम व चेयरमैन राहुल अग्रवाल एवं प्रीति अग्रवाल का धन्यवाद किया।
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के बाल एवं शिशु रोग विभाग की ओर से बाल दिवस पर उदयपुर शहर के स्कूलों के विद्यार्थियों के लिए आशुभाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई। 'कोविड-19 का मेरे जीवन पर प्रभाव' विषय पर आयोजित इस प्रतियोगिता में 8 स्कूलों के छठवीं से आठवीं के 16 विद्यार्थियों ने भाग लिया। जिसमें सीडलिंग स्कूल की आंचल बेदी एवं सेंट एंथोनी स्कूल गोवर्धन विलास की हर्षि पुरावत ने प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल भीलो का बेदला में नवजात बच्ची के फेफड़े की जटिल बीमारी कंजेनाइटल एडिनॉइड मालफॉर्मेशन का सफल ऑपरेशन कर उसे नया जीवनदान दिया। इस ऑपरेशन में बाल एवं नवजात शिशु सर्जन डाॅ. प्रवीण झंवर ऐनेस्थिशिया विभाग के डाॅ. प्रकाश औदिच्य, डाॅ.शिल्पा, डॉ कृष्णगोपाल, अनिल भट्ट एवं मनीष की टीम का सहयोग रहा।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 'एण्टीक डुप्लीकेशन सिस्ट' नामक बीमारी से ग्रसित 5 दिन की बच्ची का सफल ऑपरेशन कर उसे इस बीमारी से निजात दिलाई गई। सफल ऑपरेशन में बाल एवं नवजात शिशु सर्जन डॉ.प्रवीण झंवर, डॉ.प्रकाश औदिच्य, डॉ.शिल्पा एवं अनिल भट्ट टीम का सहयोग रहा।
मेवाड़ क्षेत्र के आम आदमी को किफायती दरों पर विश्व स्तरीय चिकित्सा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से शुरू किए ग्रेट भीलो का बेड़ला स्थित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में अत्यंत जटिल बच्चेदानी का दूरबीन द्वारा सफल ऑपरेशन कर महिला को राहत दी। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की डॉ.आभा गुप्ता, डॉ.मीनल चूघ, निश्चेतना विभाग के डॉ.प्रकाश औदिच्य, डॉ.कृष्ण गोपाल एवं पूरी टीम का इस इलाज में योगदान रहा।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में मेच्योर सिस्टिक टेराटोमा नामक बीमारी से ग्रसित 5 साल की बच्ची का सफल ऑपरेशन कर उसे इस बीमारी से निजात दिलाई । सफल ऑपरेशन में बाल एवं नवजात शिशु सर्जन डॉ. प्रवीण झंवर, डॉ. प्रकाश औदिच्य, डॉ. शिल्पा एवं अनिल भट्ट की टीम का सहयोग रहा ।
पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के पेसिफिक सेंटर ऑफ न्यूरो साइन्सेज में ब्रेन हेमरेज के पीढित मरीज की धमनी में दक्षिणी राजस्थान की पहली कंटूर डिवाइस लगाकर उसको नया जीवनदान दिया।इस मरीज के कंटूर डिवाइस प्लेसमेंट में मस्तिष्क एवं लकवा रोग विशेषज्ञ डॉ.अतुलाभ वाजपेयी, डॉ.रमाकांत, डॉ. अखिलेष, डॉ.आलोक, डॉ.चंद्र शेखर एवं टीम का सहयोग रहा ।
उदयपुर, भीलों का बेदला स्थित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल उदयपुर को प्रतिष्ठित नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच) से मान्यता मिल गई है। एनएबीएच रोगियों की सुरक्षा व स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता संबंधी मान्यता और संबद्ध कार्यक्रम संचालित करता है। इसके मानक, मूल्यांकन और प्रमाणन एक निर्धारित अवधि के अंदर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप मूल्यांकन प्रक्रिया पर आधारित होते हैं।
पैसिफिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ब्लड कैंसर से पीड़ित सात माह के बच्चे को कीमो पोर्ट लगाकर कीमोथेरेपी के दौरान होने वाली समस्या से राहत दिलाई।